रांची: रिम्स (RIMS) के शिशु विभाग में डॉक्टरों की मुसीबतें अभी कम नहीं हुई हैं, क्योंकि यहां भर्ती आधा दर्जन से ज्यादा बच्चे गंभीर अवस्था में हैं. इन बच्चों को पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) और नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. इसमें कई बच्चों की स्थिति बेहद गंभीर है. कुछ बच्चों को वेंटीलेटर पर रख कर इलाज किया जा रहा है.
स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भी आधा दर्जन से ज्यादा नवजात भर्ती : वहीं स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भी आधा दर्जन से ज्यादा नवजात बच्चों का इलाज चल रहा है. ये बच्चे प्री-मैच्योर या जन्मजात बीमारी से पीड़ित हैं.
बच्चों को बेहतर इलाज के लिए अलग से डाॅक्टरों की टीम लगी हुई है. हालांकि सबसे ज्यादा चुनाैती पीआइसीयू और एनआसीयू में भर्ती बच्चों को बचाने की है, क्याेंकि यहां संसाधन की कमी है. बेड की संख्या कम है, जिससे एक ही बेड पर कई बच्चों को रखकर इलाज करना पड़ रहा है.
रिम्स के शिशु विभाग में धनबाद की 10 साल की लुमनी कुमारी को परिजनों ने 27 दिसंबर को भर्ती कराया था. उसका इलाज शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एके चौधरी की देखरेख में चल रहा था. डॉक्टरों ने बच्ची को इंसेफलाइटिस से पीड़ित पाया था. डॉक्टरों ने बताया कि स्थिति खराब होने के बाद परिजन बच्ची को लाये थे, जिससे पूरे प्रयास के बाद भी नहीं बचाया जा सका.
रिम्स में बच्चों की मौत पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर दुख प्रकट किया है. अपने ट्विटर हेंडल और फेसबुक पेज पर मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह अत्यंत दुखद है. झारखंड की स्थिति बदलेगी.
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री रिम्स में बच्चों की मौत का यह बड़ा आंकड़ा देखकर दुखी हैं और रिम्स को सुधारने पर गंभीर हैं. उन्होंने स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को रिम्स को कैसे बेहतर किया जा सकता है, इसका प्लान तैयार करने को कहा है.
एसएनसीयू का सेमिनार हॉल होगा नियोनेटल विंग, 20 बेड का हाेगा वार्ड
बच्चों की मौत का आंकड़ा सामने आने के बाद रविवार को रिम्स प्रबंधन की नींद खुली है. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह और अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप ने रविवार को शिशु विभाग का भ्रमण किया.
रविवार होने के बावजूद विभागाध्यक्ष व सीनियर डॉक्टरों को बुलाकर निदेशक व अधीक्षक ने व्यवस्था सुधारने की पूरी जानकारी ली. पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) और नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) का भ्रमण करने के बाद निदेशक व अधीक्षक ने बैठक की. निदेशक डॉ सिंह ने कहा कि पीडियाट्रिक व नियोनेटोलॉजील विंग बिल्कुल अलग-अलग होना चाहिए. विभागाध्यक्ष डॉ एके चौधरी को एसएनसीयू के सेमिनार हॉल को नियोनेटल वार्ड में तब्दील करने को कहा गया.
दो नियोनेटोलॉजिस्ट उपलब्ध, लेकिन नहीं मिल रहा लाभ : रिम्स में जन्मजात बच्चों को बेहतर इलाज के लिए प्रबंधन ने दो नियोनेटोलॉजिस्ट को नियुक्त किया गया है, लेकिन शिशु विभाग उनका उपयोग नहीं कर रहा है.वहीं रिम्स में दो विशेषज्ञ डॉक्टर सेवा दे रहे हैं.