फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाकर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश, अब तक 10 FIR दर्ज की किए गए हैं
राज्य कोटे में प्रवेश संबंधी 10 एफआईआर में से पांच रीवा और सीधी की हैं.
भोपाल. प्रदेश का बहुचर्चित महाघोटाला व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) का जिन्न पीछा नहीं छोड रहा है. मामले में हाल ही मध्यप्रदेश स्पेशल टॉस्क फोर्स (मप्र एसटीएफ) द्वारा तीन और एफआईआर दर्ज की गई है. तीनों आरोपितों पर फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाकर मेडिकल कॉलेज में राज्य कोटे से प्रवेश लेने के आरोप हैं. अब तक राज्य कोटे में प्रवेश संबंधी 10 एफआईआर में से पांच रीवा और सीधी की हैं.
इस आधार पर एसटीएफ को आशंका है कि करीब दस साल पहले मेडिकल कॉलेजों में राज्य कोटे में प्रवेश दिलाने वाला कोई गिरोह रीवा या सीधी से संचालित तो नहीं हो रहा था. एसटीएफ ने इस दिशा में अपनी जांच शुरू कर दी है.एसटीएफ एडीजी अशोक अवस्थी ने कल पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि पीएमटी 2009 में राज्य कोटे से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने वाले शिव सिंह, पीएमटी 2010 में राज्य कोटे से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने वाले पंकज कुमार सिंह व सुनील सोनकर के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचित दस्तावेजों को बनाने के मामले दर्ज किए गए हैं.
शिवसिंह व सुनील सोनकर ने रीवा के त्योंथर तहसील से मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाया था. पंकज कुमार ने रीवा जिले के पढरा से मूल निवासी प्रमाण पत्र तैयार कराया था. एसटीएफ एसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि जांच में प्रथम दृष्टया मूल निवासी प्रमाण पत्र त्योंथर व पढरा से जारी होना नहीं पाया गया है. एसटीएफ एडीजी ने बताया है कि अब तक 197 पुरानी शिकायतों की विवेचना में 13 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं. इनमें से दस एफआईआर फर्जी मूल निवासी प्रमाण से राज्य कोटे में पीएमटी के माध्यम से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिए जाने की हैं.
इनमें सागर के मूल निवासी प्रमाण से सीमा पटेल, ग्वालियर के मूल निवासी प्रमाण से विकास अग्रवाल, मुरैना के मूल निवासी प्रमाण से सीताराम शर्मा, शहडोल के मूल निवासी प्रमाण से सौरभ सचान व रीवा के मूल निवासी प्रमाण से बेनजीर शाह फारुखी और सीधी के मूल निवासी प्रमाण से विपिन कुमार सिंह के प्रकरण शामिल हैं. तीन एफआईआर मुन्ना भाइयों के सहारे प्रवेश व भर्ती परीक्षाओं में पास होने के आरोप हैं.