Gold Bond: जानें इस बॉन्ड की खास बातें, निवेश का तरीका और अन्य जानकारी
सोना को आम तौर पर सेफ हैवेन के तौर पर देखा जाता है।
नई दिल्ली। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2020-21 की चौथी सीरीज में सोमवार से निवेश का विकल्प खुल गया है। कोरोना से जुड़े संकट के इस काल में सोने में निवेश बढ़ा है क्योंकि सोना को आम तौर पर सेफ हैवेन के तौर पर देखा जाता है।
सरकार ने चौथी सीरीज के गोल्ड बॉन्ड के लिए 4,852 रुपये प्रति ग्राम का मूल्य तय किया है। इस स्कीम में 10 जुलाई तक इंवेस्टमेंट किया जा सकता है। रिजर्व बैंक ने इस साल अप्रैल में जानकारी दी थी कि 20 अप्रैल से सितंबर, 2020 के बीच सरकार Sovereign Gold Bond Scheme की 6 सीरीज लाएगी। इस बॉन्ड को भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक जारी करता है।
गोल्ड बॉन्ड की चौथी सीरीज की कीमत
केंद्रीय बैंक ने गोल्ड बॉन्ड की चौथी किस्त के लिए 4,852 रुपये प्रति ग्राम की कीमत तय की है। गोल्ड बॉन्ड की चौथी सीरीज के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने वाले और डिजिटल माध्यम से पेमेंट करने वाले को प्रति ग्राम के हिसाब से 50 रुपये की छूट मिलेगी। RBI के मुताबिक ऐसे इंवेस्टर्स के लिए गोल्ड बॉन्ड की कीमत 4,802 रुपये प्रति ग्राम होगा।
गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत कर सकते हैं कितने सोने की खरीदी
गोल्ड बॉन्ड स्कीम में कोई भी व्यक्ति न्यूनतम एक ग्राम सोना खरीद सकता है। वहीं, किसी एक वित्त वर्ष में एक व्यक्ति या अविभाजित हिन्दू परिवार अधिकतम चार किलोग्राम सोना खरीद सकता है। दूसरी ओर ट्रस्ट जैसे संगठन अधिकतम 20 किलोग्राम तक सोना खरीद सकते हैं।
फिजिकल गोल्ड से इस प्रकार बेहतर है गोल्ड बॉन्ड में निवेश
अगर आप निवेश को ध्यान में रखकर सोना खरीदना चाहते हैं तो गोल्ड बॉन्ड आपके लिए ज्यादा बेहतर साबित हो सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि गोल्ड बॉन्ड में निवेश कई प्रकार से फायदे का सौदा है।
उल्लेखनीय है कि फिजिकल गोल्ड की डिमांड में कमी लाने के लिए सरकार ने नवंबर, 2015 में गोल्ड बॉन्ड स्कीम शुरू की थी। विशेषज्ञों का कहना है कि गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत आप 999 गुणवत्ता वाले सोने का बॉन्ड खरीदते हैं।
ऐसे में आपको गोल्ड बॉन्ड की क्वालिटी के साथ-साथ उसकी सुरक्षा की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। दूसरी बात यह है कि फिजिकल गोल्ड को रखने के लिए आपको लॉकर इत्यादि पर खर्च करना पड़ता है लेकिन गोल्ड बॉन्ड के मामले में आपको यहां भी कोई खर्च करने की जरूरत नहीं होती है।
वहीं, जब आप गोल्ड बॉन्ड को बेचने जाते हैं तो आपका किसी तरह मेकिंग चार्ज वगैरह नहीं कटता है। साथ ही सोने पर आपको ढाई फीसद की सालाना दर से ब्याज भी मिलता है।